नई दिल्ली:  विधानसभा सीट इलाक़े के मामले में दिल्ली की सबसे बड़ी सीटों में से एक है. हालांकि वोट संख्या के मामले में ये दूसरी सबसे छोटी सीट है.लेकिन अगर बात राजनीतिक महत्व की है तो ये विधानसभा सीट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सबसे चर्चित सीट बनीं हुई है.और इस बार चुनावी मैदान में उम्मीदवारों के मामले में भी ये सीट सबसे आगे हैं.

कुल चालीस उम्मीदवारों ने इस सीट से पर्चे दाख़िल किए, कुछ ने वापस ले लिए और कुछ के रिजेक्ट हो गए. अब 23 उम्मीदवार यहां से मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं और इस बार भी इसी सीट से उम्मीदवार है.

बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस की तरफ़ से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित हैं. अगर पिछले तीन दशकों के इतिहास को देखा जाए तो जिस पार्टी ने ये सीट जीती है, उसी ने दिल्ली में सरकार बनाई है.1993 में यहां से बीजेपी के कीर्ति आज़ाद विधायक बनें और दिल्ली में बीजेपी ने सरकार बनाई.

1998 में शीला दीक्षित ने ये सीट जीतीं. दीक्षित 2008 तक लगातार यहां से जीतती रहीं और दिल्ली की मुख्यमंत्री बनतीं रहीं. 2013 में नई बनीं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को यहां से हराया. इसके बाद 2015 और फिर 2020 में भी केजरीवाल ही यहां से विधायक बनकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनें.

पिछले चुनाव में केजरीवाल ने यहां से 61.10 प्रतिशत मत हासिल किए थे जबकि साल 2015 के चुनाव में उन्होंने 64.34 प्रतिशत वोट जीते थे. 2013 में जब केजरीवाल पहली बार यहां से चुने गए तो उन्होंने 53.46 प्रतिशत मत हासिल किए थे. यानी केजरीवाल पिछले तीन विधानसभा चुनावों में हर चुनाव में पचास फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल कर चुके हैं.

केजरीवाल अपने चुनाव अभियान की शुरुआत महर्षि वाल्मिकी मंदिर पहुंचकर करते रहे हैंइमेज स्रोत,@ARVINDKEJRIWAL इमेज कैप्शन,केजरीवाल अपने चुनाव अभियान की शुरुआत महर्षि वाल्मिकी मंदिर पहुंचकर करते रहे हैं . इस दौरान, कांग्रेस का मत प्रतिशत इस सीट पर लगातार गिरता रहा है.

पिछले चुनाव में कांग्रेस को यहां से सिर्फ चार प्रतिशत के आसपास ही मत मिले थे जबकि बीजेपी के हिस्से लगभग तैंतीस प्रतिशत मत आए थे. अपने उदय के साथ ही दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ हुई आम आदमी पार्टी को अब तक दिल्ली में एकतरफ़ा वोट मिलते रहे हैं. पिछले चुनाव में पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं थीं.

लेकिन अब, लगभग 12 साल के शासन के बाद, आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में सत्ता बनाए रखना एक चुनौती बन गया है.

पार्टी के बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस चुके हैं. कथित शराब घोटाले में जेल गए अरविंद केजरीवाल ने ज़मानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हुए कहा था कि अगर दिल्ली की जनता उन्हें फिर से चुनेगी तब ही वो सीएम के पद पर लौटेंगे.