मेरठ। मेरठ से सटे बहसूमा थाना क्षेत्र के गांव रामराज में मंगलवार रात साढ़े नौ बजे मोबाइल चलाने से डांटने पर दसवीं के छात्र अंगद (14) ने पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर खुदकुशी कर ली। छात्र की जेब से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने परिवार और पिता पर प्यार न करने की बात लिखी है।
गांव रामराज के मोहल्ला माया नगर में नितिन चौधरी का परिवार रहता है। उनका चौधरी ट्रांसपोर्ट नाम से कारोबार है। मंगलवार रात नितिन का बड़ा बेटा अंगद कमरे में पढ़ाई कर रहा था। वह मोबाइल भी चला रहा था। पिता ने उसे डांट दिया और अधिक मोबाइल न चलाने के लिए कहा। इसी बात से नाराज होकर अंगद ने पिता की रिवॉल्वर से गोली मार ली।
गोली की आवाज सुनकर परिजन कमरे की तरफ दौड़े। अंगद को खून से लथपथ देखकर उनके होश उड़ गए। उसे मेरठ के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एसपी देहात कमलेश बहादुर सिंह ने बताया कि छात्र की जेब से सुसाइड नोट मिला है, इसमें उसने पिता पर बाइक और मोबाइल न दिलाने की बात लिखी है। बहसूमा थाना क्षेत्र के गांव रामराज में खुदकुशी करने वाले दसवीं के छात्र अंगद ने मौत से पहले सुसाइड नोट लिखा है। उसने लिखा है कि उसके पिता ने बाइक मोडिफाइड कराई। नई बाइक नहीं दिलवाई। नया मोबाइल नहीं दिलवाया। इसके चलते मैं जीना नहीं चाहता। इसी से तंग आकर वह आत्महत्या कर रहा है।
मृतक अंगद के मुताबिक जब अपने दोस्तों पर नए मोबाइल देखता तो उसके मन में भी नए मोबाइल की चाहत बढ़ जाती थी। वह दिल ही दिल में अपने अरमानों को घोट लेता था। पिता द्वारा फटकार लगाई जाने से खिन्न होकर शायद उसने यह आत्मघाती कदम उठाया है। पढ़ाई में कमजोर होना उसके लिए अभिशाप बन गया था। पिता उसे हर समय पढ़ाई के लिए फटकार लगाते थे। शायद उसकी आत्महत्या का यही मुख्य वजह रही होगी। परिजन कुछ भी नहीं बता रहे हैं। लेकिन माना जा रहा है कि घर वालों का दबाव था, इसलिए आत्महत्या की।
छात्र अंगद के पिता नितिन चौधरी ट्रांसपोर्टर हैं। उसके अपने 8 ट्राॅले शुगर फैक्टरी में संचालित होते हैं। अंगद का एक छोटा भाई 8 वर्ष का है। अंगद की मौत से परिवार में कोहराम मचा है। मृतक अंगद के एक छोटा भाई रुद्र व उसकी माता पूजा का रो रोकर बुरा हाल है। आसपास के लोग पहुंचते रहे। किशोरों की सहनशक्ति हो रही कम मनोचिकित्सकों का कहना है कि आजकल टीवी-फिल्मों के प्रभाव और फास्ट फूड खाने से किशोरों में सहनशक्ति कम हो रही है, जिसके कई बार नतीजे गंभीर भी हो जाते हैं। जैसा कि रामराज क्षेत्र में हुई घटना में हुआ।
जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कमलेंद्र किशोर ने बताया कि इस तरह की भावना के कई कारण हैं। सबसे आम है निराशा। जब बच्चे, किशोर या युवा को जब उसकी इच्छा के विरुद्ध कुछ करने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह कई बार गुस्से पर काबू नहीं कर पाते। ऐसे में पेशेवर से मदद लेनी चाहिए। मनोचिकित्सक डॉ. रवि राणा ने बताया कि अगर किशोर गुस्सैल है तो उसे बताएं कि समस्या वह नहीं है, बल्कि उसका गुस्सा है। अगर परिजनों को लगे कि उसके गुस्से या आक्रमकता के लिए किसी मनोवैज्ञानिक की जरूरत है तो जरूर संपर्क करें। परिजन बच्चों के साथ वक्त बिताएं।