मुज़फ्फरनगर । उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर एक बार फिर केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान हुंकार भर रहे हैं। मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान का पिछले दो चुनावों में दबदबा रहा है। इस बार भी उनकी कोशिश यहां अपना दबदबा कायम रखने की है। साथ में संजीव बालियान के सामने चुनौती खुद की जीत से ज्यादा यहां लगातार तीसरी बार बीजेपी का कमल खिलाने की है।
2019 के लोकसभा चुनाव में संजीव बालियान महज 4 हजार वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे। उनका मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के प्रमुख रहे दिवंगत चौधरी अजीत सिंह के साथ था। मुजफ्फरनगर में बालियान और चौधरी परिवार को कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी माना जाता था। दिलचस्प ये है कि आरएलडी, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के साथ थी, वो इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का साथ दे रही है। ऐसे में संजीव बालियान की राह जरूर आसान है, लेकिन मुकाबला यहां अभी भी कांटे का है।
वैसे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के समय से ही मुजफ्फरनगर सीट भयंकर मुकाबले का गवाह रही है। अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि यहां राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में चौधरी चरण सिंह भी अपना चुनाव हार गए थे। चौधरी चरण सिंह ने मुजफ्फरनगर से 1971 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वो अपना पहला ही चुनाव हार गए थे। चौधरी चरण सिंह भारतीय क्रांति दल के उम्मीदवार थे, जिनका मुकाबला सीपीआई के नेता विजय पाल सिंह से हुआ था। कड़ी टक्कर में तकरीबन 50 वोटों के अंतर से चौधरी चरण सिंह को मात मिली थी।
मुजफ्फरनगर के राजनीतिक युद्धक्षेत्र में फिर भयंकर मुकाबले की तस्वीर उभर रही है। मुजफ्फरनगर में इस बार दो जाट नेताओं की लड़ाई है, जिसमें एक तरफ बीजेपी के सांसद संजीव बालियान और दूसरी तरफ पूर्व राज्यसभा सांसद हरेंद्र मलिक हैं। हरेंद्र मलिक को अखिलेश यादव ने मैदान में खड़ा किया है, जो ‘जाटलैंड’ में सपा का झंडा बुलंद करने की कोशिश में हैं। बहुजन समाज पार्टी की तरफ से दारा सिंह प्रजापति खड़े हैं, जिन्हें प्रजापति समाज के अलावा दलित मतदाताओं से वोट की उम्मीद है। ऐसे में संजीव बालियान को पिछली बार से ज्यादा मेहनत 2024 के चुनाव में करनी पड़ेगी।
संजीव बालियान पेशे से पशुचिकित्सक हैं। उन्होंने पशु चिकित्सा शरीर रचना विज्ञान में पीएचडी कर रखी है। उन्हें मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री बनाया गया था। फिर जुलाई 2016 में उन्हें मंत्री उमा भारती के अधीन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री बनाया गया। बालियान अभी मोदी सरकार में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री हैं, जो मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हरेंद्र सिंह मलिक पूर्व राज्यसभा सांसद हैं, हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि वो मुजफ्फरनगर से आते हैं। वो पश्चिमी यूपी के जाने-माने जाट नेता हैं। पहली बार 1985 में लोकदल के टिकट पर खतौली सीट से विधायक बने और फिर 1989 में जनता दल में शामिल होने के बाद बघरा सीट पर चले गए, विधायक रहे।
मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में जाट आबाजी ज्यादा है। यहां करीब जाट कुल मतदाता आधार का लगभग 18 प्रतिशत हैं। हालांकि यहां लगभग 14 प्रतिशत हिस्सेदारी दलितों की भी है। गुर्जर और ठाकुर समुदायों के पास लगभग 10 प्रतिशत वोटबैंक हैं। इसके अलावा प्रजापति, सैनी और त्यागी जैसे समुदाय भी अपनी भूमिका निभाते हैं।