लखनऊ। प्रदेश में होटल इंडस्ट्री को पंख लगेंगे। आवासीय क्षेत्र में 6 कमरों से लेकर 20 कमरों तक के होटल कम से कम जगह में भी बन सकेंगे। इसके लिए न्यूनतम भूमि और सड़कों की चौड़ाई के मानक बदले जाएंगे। इससे संबंधित नियमावली में बदलाव के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को दिए। इसका लाभ छोटे होटलों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने आवास पर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की कार्ययोजनाओं के प्रस्तुतीकरण के दौरान कहा कि प्रदेश में पर्यटन की सम्भावनाओं को प्रोत्साहित करने के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभरा है। देश से सबसे ज्यादा पर्यटक उत्तर प्रदेश में आते हैं। एक साल में करीब 37 करोड़ पर्यटक प्रदेश में आए हैं।
इन सकारात्मक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में बड़ी संख्या में होटलों की जरूरत है। ऐसे में इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए बिल्डिंग बाइलाज में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आवासीय क्षेत्र में 20 कमरों तक के होटल निर्माण के लिए न्यूनतम जमीन और होटल तक पहुंच मार्ग की चौड़ाई की न्यूनतम सीमा में बदलाव किया जाए। साथ ही पार्किंग, सिक्योरिटी और फायर सेफ्टी मानकों का सख्ती से अनुपालन कराया जाए।
-अभी होटल के लिए न्यूनतम 1000 वर्गमीटर जमीन का नियम है। अब 6 से 20 कमरों तक के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल की बाध्यता नहीं होगी। 20 से ज्यादा कमरों के होटल के लिए 500 वर्गमीटर जमीन।
-किसी अन्य व्यावसायिक उपयोग की इमारत को होटल में तब्दील करने पर परिवर्तन शुल्क नहीं देना होगा।
-अभी न्यूनतम 12 मीटर और 18 मीटर चौड़ी सड़क पर होटल का प्रावधान है। अब 20 कमरे तक के होटल 9 मीटर चौड़ी सड़क पर भी बन सकेंगे। 20 से अधिक कमरों के होटल 12 मीटर चौड़ी सड़क पर बन सकेंगे।
-अभी एफएआर अधिकतम 2.5 मीटर तक है। इसे बढ़ाकर अलग-अलग होटल के लिए अधिकतम 5 मीटर करने की तैयारी। -12.5 मीटर ऊंचाई वाली बिल्डिंग के सेटबैक मानकों को 15 मीटर ऊंची बिल्डिगों पर लागू किया जाएगा।
– 4000 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों के होटल का 20 फीसदी एफएआर का इस्तेमाल आफिस व रिटेल शोरूम के लिए किया जा सकेगा। 20 फीसदी एफएआर का इस्तेमाल सर्विस अपार्टमेंट्स में किया जा सकेगा।