बिजनौर। डीएम अंकित कुमार अग्रवाल ने नजीबाबाद ब्लॉक के 28 ग्राम प्रधानों को मनरेगा कार्याें के संबंध में ऑडिट के दौरान अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। उधर, ग्राम प्रधानों ने बैठक कर समस्त ब्योरा ब्लॉक कार्यालय के पास होने का तर्क देते हुए नोटिस का विरोध किया है।
चौधरी चरण सिंह विकास भवन सभागार में ग्राम प्रधानों ने बैठक की। ग्राम प्रधानों ने डीएम कार्यालय से हुए कारण बताओ नोटिस पर रोष व्यक्त किया। कहना था कि उनके द्वारा केवल कच्चा काम कराया जाता है। काम की धनराशि मनरेगा मजदूरों के सीधे खाते में पहुंचती है। पक्के कार्य का भुगतान बीडीओ एवं टीए द्वारा उनके डोंगल से किया जाता है।
ग्राम प्रधान प्रशांत चौधरी, सतविंदर सिंह पोप, राहुल हुड्डा, रीना आदि का कहना है कि समस्त मनरेगा कार्याें का रिकॉर्ड ब्लॉक कार्यालय पर उपलब्ध है। ऑडिट के दौरान ग्राम प्रधानों द्वारा ऑडिट टीम को स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद वर्ष 2021-22 में कराए गए कार्याें के संबंध में ग्राम प्रधानों को कारण बताओ और रिकवरी नोटिस जारी करने का औचित्य नहीं हैं। ग्राम प्रधानों को 15 दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट नहीं करने पर विकास कार्याें की धनराशि वसूली कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
ग्राम प्रधानों ने नोटिस में 10 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक के ग्राम पंचायतों पर विकास कार्याें का निकालने और भूराजस्व वसूली का दबाव बनाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। प्रधानों ने तीन जुलाई को प्रकरण के संबंध में पुन: बैठक बुलाई है। ग्राम प्रधानों ने बीडीओ ज्योति चौधरी को मुख्य विकास अधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में आदर्श ग्राम पंचायतों में कार्यदायी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्याें की जानकारी नहीं देने, जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में कार्य अधूरा होने सहित कई मुद्दे उठाए गए हैं। ग्राम प्रधानों ने विकास कार्याें से संबंधित पत्रावली ग्राम पंचायतों द्वारा उपलब्ध नहीं कराने पर भी नाराजगी व्यक्त की।